विश्व श्रवण दिवस पर विशेष (3 March 2022)हमारी बदलती जीवन शैली से प्रभावित हो रही सुनने की क्षमता: डा.सिंघल

Mar2,2022 | Jagrati Lahar Bureau | Jaipur

हमारे दैनिक जीवन में कोरोना के चलते बदलती जीवनशैली में सामान्य से अधिक लोगों में बहरेपन या कम सुनने के मामले पहले की अपेक्षा बढ़ते जा रहे है। यह समस्या ज्यादातर बच्चों, युवाओं और बजुर्ग वर्ग में सबसे अधिक देखी जा रही है। जोकि हम सभी के लिए चिंता का विषय है।
कोरोना के चलते अधिकतर शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थी हैड फोन या इयर-बड्स लगाकार आनॅलाइन कक्षाएं ले रहे है और जो लोग वर्क फॅ्राम होम से काम कर है, उन्हे भी आनॅलाइन काम करना पड़ रहा है, वे भी इससे प्रभावित है। विश्व श्रवण दिवस की पूर्व संध्या पर राज्य के ईएनटी चिकित्सकों, सुखम फांउडेशन व एसोसियेशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों ने इस समस्या पर गहरी चिंता जताई है।
सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग वरिष्ठ आचार्य डॉ.पवन सिंघल ने बताया कि विश्व श्रवण दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2022 के लिए ‘‘जीवन के लिए सुनना, ध्यान से सुनना ’’ थीम निर्धारित की है। इसमें दुनियाभर में सुरक्षित श्रवण के माध्यम से श्रवण हानि की रोकथाम के महत्व और साधनों पर ध्यान केंद्रित होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा बहरेपन की समस्या विकासशील देशों में और कम विकसित देशों में देखने को मिलती है। जहां न तो इस समस्या से निपटने की व्यवस्था है और ना ही यहां के लोग जागरूक है। इसके अलावा न तो यहां कोई इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित है।
राजस्थान में पहले से अधिक मामले
डॉ.सिंघल ने बताया कि सवाई मानसिंह अस्पताल में भी पहले से अधिक मामले बहरेपन के आ रहे है। इससे कम उम्र के युवा और बच्चों के साथ बुजुर्ग भी इससे प्रभावित हो रहे है। इस तरह के मामले इन दिनों सबसे अधिक अस्पताल में आ रहे है।
अधिक समय तक मोबाइल पर बात करना, तेज आवाज में संगीत सुनने या गेम खेलना सबसे अधिक नुकसानदायक है।

डा.सिंघल ने बताया कि सुनने की समस्या पहले या तो जन्मजात होती थी या फिर जो लोग तेज धमाकों या तेज आवाज के साथ काम करते थे उन्हे इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद शिक्षण संस्थाओं की आनॅलाइन कक्षाओं में जो विद्यार्थी ईयर फोन या इयर-बड्स का उपभोग करते है, उन्हे भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हमारे कान की सुनने की क्षमता 80 डेसिबल होती है, लेकिन आज के मॉडर्न लाइफस्टाइल में लोग अपनी सुनने की क्षमता को ही खो बैठते हैं। जीवन के सभी चरणों में अच्छी श्रवण शक्ति और संचार महत्वपूर्ण है।
बदलती जीवनशैली बड़ा करण
उन्होने बताया कि इसके साथ ही बदलती जीवनशैली में लोग अपने वजन पर काबू नहीं रख पाते और मोटापे से ग्रसित लोगों में भी बहरेपन का खतरा अधिक होता है।
राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बने
डा.सिंघल ने बताया कि देशभर में प्रति एक हजार बच्चों मे से 4 से अधिक बच्चों को बहरेपन का सामना करना पड़ रहा है। इन बच्चों को समय पर सुनने की जांच न मिल पाने के कारण ये आवाज से वंचित रह जाते है। इसके लिए नवजात शिशु की जांच अनिवार्य हो और इसे राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बना दिया जाए जिसमें सुनने की जांच हो सके।

वॉयस ऑफ साइलेंस अभियान
इसलिए विश्व श्रवण दिवस पर सुखम फाउंडेशन व एसोसिएशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में वाॅयस ऑफ साइलेंस अभियान का आगाज वर्ष 2020 में किया गया था। यह अभियान देशभर में चलाया जा रहा है। इस अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मनसुख मंडाविया को एक लाख पोस्टकार्ड देश के विभिन्न हिस्सों से बच्चों के द्वारा भेजे जा रहे हैं।

सरकार से अपील

सुखम फाउंडेशन व एसोसिएशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में वाॅयस ऑफ साइलेंस अभियान की ब्रांड एंबेसडर लिपि ने कहा कि सभी को सुनने का अधिकार है, तभी वे जीवन में विकास के मार्ग पर अग्रसर हो सकते है। इसलिए नवजात शिशु की सुनने की जांच से बच्चों का सम्पूर्ण जीवन स्तर सुधारा जा सकता है। इस अभियान के माध्यम से निरंतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री डा.मनसुख मंडाविया से ‘‘ नीओनेटल हियरिंग स्क्रीनिंग ’’ को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बनाने की मांग की जा रही है।

अच्छे चिकित्सक से ले परामर्श

बहरेपन या कानों से जुड़ी किसी तरह की समस्या होने पर चिकित्सक की सलाह ले। समय पर जांच कराने से कई तरह की समस्या से आप बच सकतें है।

ये रखें सावधानियां

सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग आचार्य डॉ.पवन सिंघल ने बताया कि सभी को अपनी जीवनशैली में सुधार करना चाहिए। जिसमें खासतौर पर खानपान और अपनी दैनिक जीवन की आदतों में बदलाव करें। इसके साथ हमेशा तेज पटाखों के शोर, तेज आवाज, ईयर फोन, ईयर बट्स से दूरी बनाए रखे।

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Balraj Khanna (Editor)

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